कहानी की शुरुआत होती है 1939 k गुजरात में जहां के काठियावाड़ में जन्म हुआ गंगा हरजीवनदास का। गंगा का परिवार उसे पढ़ा-लिखा कर कुछ बनाना चाहता था लेकिन अब गंगा क्या करें जब उसका मन ही पढ़ाई में नहीं लगता था। उसने तो बचपन से ही बॉलीवुड की मशहूर Actress बनने का सपना देखा पर फिर कॉलेज के समय में अपने पिता के Accountant ramnik lal के प्यार में पड़ गई और महज 16 साल की उम्र में रमणीक के साथ गुजरात काठियावाड़ से भागकर मुंबई आ गई जहां दोनों ने अपनी नई जिंदगी शुरू की.
उन्होंने विवाह रचाया और मुंबई में रहना शुरू किया। गंगा को लगा कि अब धीरे-धीरे उसके सारे सपने सच होंगे लेकिन रमणीक लाल ने उसे धोखा दे दिया और महज ₹500 के लिए गंगा को कोठे पर बेच दिया।
वह इंसान जिसके लिए गंगा सब कुछ छोड़ कर आई थी उससे धोखा खाने के बाद गंगा पूरी तरह टूट गई थी लेकिन फिर मुंबई के उसी red light area में शुरुआत हुई गंगूबाई की.
हुसैन जैदी ने अपनी किताब mafia queens of Mumbai में गंगूबाई के बारे में भी लिखा है. गंगूबाई मुंबई के कमाठीपुरा का सबसे जाना माना नाम है. माफिया world के कई लोग उनके Customer थे.
1960 के दशक में करीम लाला शहर के सबसे पावरफुल माफिया में से एक था जिसने हाजी मस्तान और varadarjan के साथ Underworld पर काफी समय तक राज किया और कमाठीपुरा का रेड लाइट एरिया भी करीम के Under ही था. कहा जाता है कि 60 से 80 के दशक में करीम लाला अंडरवर्ल्ड के वो Don थे जिन्होंने शराब, gambling और extortion racket चलाए।
करीम लाला के आदमियों ने गंगूबाई के साथ जबरदस्ती की जिसके वजह से गंगूबाई के शरीर पर कई जख्म भी आए और हालत ऐसी गंभीर हो गई थी कि हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ा। तू गंगूबाई ने फैसला किया कि जिन लोगों ने उनके साथ गलत किया है वह उनके बॉस के पास आकर उन लोगों की शिकायत करेगी। Hussain zaidi ने अपनी किताब में आगे लिखा की गंगूबाई इंसाफ मांगने माफिया डॉन करीम लाला के दरवाजे पर पहुंच गई।
बाद में करीम लाला और गंगू बाई के रिश्ते ने एक नया मोड़ लिया। गंगूबाई ने करीम लाला के कलाई पर राखी बांधी तो करीम लाला ने अपनी मुंह बोली बहन को कमाठीपुरा का पूरा Area दे दिया और बस यही से गंगूबाई मुंबई की mafia queen बन गई.
गंगूबाई sex trade की एक Victim थी लेकिन अब वह मुंबई के कमाठीपुरा की सबसे Powerful इंसान बन चुकी थी.
करीम लाला से मिलने के बाद जब कमाठीपुरा की पूरी बागडोर गंगूबाई के हाथ में आई तो उन्होंने अनाथ बच्चों और जबरदस्ती prostitution में धकेली गई लड़कियों और औरतों की मदद की. अपनी जिंदगी में इतनी परेशानियां, दुख और मुश्किलें देखने के बाद गंगूबाई ने फैसला किया था कि वह sex workers के भले के लिए काम करेंगी।
अगर देखा जाए तो sex workers और अनाथो के लिए वह एक तरह से उनकी god mother थी. भले ही वह कोठा चलाती थी लेकिन उन्होंने कभी भी किसी को उसकी मर्जी के खिलाफ वहां नहीं रखा.
आज तक कमाठीपुरा के लोग गंगूबाई को याद करते हैं. उनके एरिया में गंगूबाई की एक बड़ी सी मूर्ति भी है और कोठे की दीवारों पर आज भी गंगूबाई की फोटो सजी है।
Broad golden border वाली साड़ी, माथे पर बड़ी सी लाल रंग की बिंदी और आंखों में रौब – यह पहचान थी गंगूबाई काठियावाड़ की। कोठे की मालकिन और करीम लाला की मुंह बोली बहन होने के चलते गंगूबाई इतनी अमीर थी उस समय उनके पास Bentley हुआ करती थी.
गंगूबाई की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने sex workers की Saftey के लिए जो speech आजाद मैदान में दी थी उसे 60s के दशक के हर बड़े newspaper में लिखा गया था. और उनकी पहुंच कुछ इस कदर बढ़ी कि उन्हें उस समय के prime minister जवाहरलाल नेहरू के साथ Appointment मिली जहां उन्होंने एक बार दोबारा Sex workers के लिए आवाज उठाई।
गंगूबाई के कोठे पर किसी भी ऐसी महिला को नहीं रखा जाता था जो वेश्यावृत्ति नहीं करना चाहती थी। बिना महिला की इजाजत के उसके साथ कोठे पर कोई जबरदस्ती नहीं की जा सकती थी। इतना ही नहीं जिन लड़कियों के साथ गंगूबाई की तरह धोखा किया गया था और उन्हें धोखे से कोठे पर पहुंचाया गया था उन्हें वापस उनके घर भेजने की कोशिश की जाती। गंगूबाई ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवाज उठानी शुरू की। अनाथ बच्चों के लिए काम के लिए काम किया और लोगों का दिल से कदर जीत लिया कि गंगूबाई कमाठीपुरा में हुए चुनावों में शामिल हुई और जीती भी।